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ब्रेन हैमरेज (स्ट्रोक) : लक्षण, प्रकार एवं प्रभाव

शब्दकोष में हैमरेज की चिकित्सीय परिभाषा इस प्रकार दी गई है : रक्त वाहिनियों से प्रचुर मात्रा में रक्त का बहना (रक्तस्त्राव)। ब्रेन हैमरेज मस्तिष्क में धमनी के फटने से होता है जिसके कारण रक्स्त्राव होता है और परिणामस्वरूप मस्तिष्क कोशिकाएँ मर जाती हैं । मनुष्यों में स्ट्रोक के लगभग 13 प्रतिशत मामलों के लिए यही कारण ज़िम्मेदार होता है। स्ट्रोक या घात तब होता है जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति कम या बंद हो जाती है जिससे मस्तिष्क कोशिकाओं को पोषक तत्व और ऑक्सीजन नहीं मिल पाते हैं और अंततः वे कोशिकाएँ मृत हो जाती हैं।

यह एक बहुत ही गंभीर चिकित्सीय आपातस्थिति होती है जिसका ईलाज त्वरित रूप से आरम्भ हो जाना चाहिए।

लक्षण क्या हैं?
  • अचानक चक्कर आना, समन्वय और संतुलन खो जाना
  • बोलने में और दुसरे क्या कह रहे हैं यह समझने में तकलीफ होना
  • बहुत ही तीव्र सिरदर्द के साथ ही उल्टी व चक्कर आना
  • एक या दोनों आँखों की दृष्टि धूमिल होना या बहुदृष्टि होना
  • शरीर में सुन्नपन होना, मुख्य रूप से चेहरे, भुजाओं और पैरों में
स्ट्रोक या घात के प्रकार:

स्ट्रोक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: इस्केमिक (स्थानिक-अरक्तता सम्बंधित), जिसमें धमनियों में रोध उत्पन्न हो जाता है; और हिमोरेजिक (रक्तस्त्रावी), जिसमें धमनियां फट जाती हैं। लगभग 80 प्रतिशत स्ट्रोक इस्केमिक प्रकार के होते हैं जो कि दो भागों में प्रविभाजित किये जाते हैं: थ्रोम्बोटिक (घनास्त्री) और एम्बोलिक (अन्तःशल्यीय)। जब खून का थक्का (थ्रोम्बस) धमनी में बनता है और रक्त को अवरुद्ध कर देता है तो यह थ्रोम्बोटिक कहलाता है। जब खून का थक्का, जिसे एम्बोलस (अन्तःशल्य) कहा जाता है, शरीर के किसी अन्य भाग में बनता है और घूमते हुए मस्तिष्क में पहुँच कर धमनियों को अवरुद्ध कर देता है, तो यह एम्बोलिक कहलाता है।
जब मस्तिष्क में रक्त वाहिनियाँ फटती हैं या उनमें छिद्र हो जाते हैं तो यह हिमोरेजिक कहलाता है। यह या तो इंट्रासेरेब्रल (अन्तः प्रमास्तिष्कीय) हो सकता है या फिर सबर्चनॉइड (अवजालतानिका) ; इंट्रासेरेब्रल में रक्त वाहिनियां मस्तिष्क ऊतक में फट जाती हैं या मस्तिष्क ऊतक को नुकसान पहुँचाती हैं। सबर्चनॉइड में धमनी बाहरी सतह पर फूट जाती हैं और मस्तिष्क व खोपड़ी के बीच की जगह को भर देती हैं।
एक अन्य प्रकार अस्थायी इस्केमिक अटैक होता है, जो कि एक छोटा स्ट्रोक (मिनी स्ट्रोक) कहा जाता है। इसके लक्षण सीमित समय के लिए स्ट्रोक की तरह होते हैं।

शब्दकोष में हैमरेज की चिकित्सीय परिभाषा इस प्रकार दी गई है : रक्त वाहिनियों से प्रचुर मात्रा में रक्त का बहना (रक्तस्त्राव)। ब्रेन हैमरेज मस्तिष्क में धमनी के फटने से होता है जिसके कारण रक्स्त्राव होता है और परिणामस्वरूप मस्तिष्क कोशिकाएँ मर जाती हैं । मनुष्यों में स्ट्रोक के लगभग 13 प्रतिशत मामलों के लिए यही कारण ज़िम्मेदार होता है। स्ट्रोक या घात तब होता है जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति कम या बंद हो जाती है जिससे मस्तिष्क कोशिकाओं को पोषक तत्व और ऑक्सीजन नहीं मिल पाते हैं और अंततः वे कोशिकाएँ मृत हो जाती हैं।

यह एक बहुत ही गंभीर चिकित्सीय आपातस्थिति होती है जिसका ईलाज त्वरित रूप से आरम्भ हो जाना चाहिए।

लक्षण क्या हैं?
  • अचानक चक्कर आना, समन्वय और संतुलन खो जाना
  • बोलने में और दुसरे क्या कह रहे हैं यह समझने में तकलीफ होना
  • बहुत ही तीव्र सिरदर्द के साथ ही उल्टी व चक्कर आना
  • एक या दोनों आँखों की दृष्टि धूमिल होना या बहुदृष्टि होना
  • शरीर में सुन्नपन होना, मुख्य रूप से चेहरे, भुजाओं और पैरों में
स्ट्रोक या घात के प्रकार:

स्ट्रोक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: इस्केमिक (स्थानिक-अरक्तता सम्बंधित), जिसमें धमनियों में रोध उत्पन्न हो जाता है; और हिमोरेजिक (रक्तस्त्रावी), जिसमें धमनियां फट जाती हैं। लगभग 80 प्रतिशत स्ट्रोक इस्केमिक प्रकार के होते हैं जो कि दो भागों में प्रविभाजित किये जाते हैं: थ्रोम्बोटिक (घनास्त्री) और एम्बोलिक (अन्तःशल्यीय)। जब खून का थक्का (थ्रोम्बस) धमनी में बनता है और रक्त को अवरुद्ध कर देता है तो यह थ्रोम्बोटिक कहलाता है। जब खून का थक्का, जिसे एम्बोलस (अन्तःशल्य) कहा जाता है, शरीर के किसी अन्य भाग में बनता है और घूमते हुए मस्तिष्क में पहुँच कर धमनियों को अवरुद्ध कर देता है, तो यह एम्बोलिक कहलाता है।

जब मस्तिष्क में रक्त वाहिनियाँ फटती हैं या उनमें छिद्र हो जाते हैं तो यह हिमोरेजिक कहलाता है। यह या तो इंट्रासेरेब्रल (अन्तः प्रमास्तिष्कीय) हो सकता है या फिर सबर्चनॉइड (अवजालतानिका) ; इंट्रासेरेब्रल में रक्त वाहिनियां मस्तिष्क ऊतक में फट जाती हैं या मस्तिष्क ऊतक को नुकसान पहुँचाती हैं। सबर्चनॉइड में धमनी बाहरी सतह पर फूट जाती हैं और मस्तिष्क व खोपड़ी के बीच की जगह को भर देती हैं।

एक अन्य प्रकार अस्थायी इस्केमिक अटैक होता है, जो कि एक छोटा स्ट्रोक (मिनी स्ट्रोक) कहा जाता है। इसके लक्षण सीमित समय के लिए स्ट्रोक की तरह होते हैं।

प्रभाव:
  • शरीर के अंगों में लकवा हो जाना
  • गले की मासपेशी को नियंत्रित करने में कठिनाई होना
  • बोलने, पढ़ने व लिखने में कठिनाई होना
  • तर्क शक्ति में कमी आना, स्मरण शक्ति कमज़ोर होना
  • शरीर के अंगों में दर्द व अजीब सा संवेदन होना
  • व्यवहार में बदलाव होना
Blog Reviewed By: Dr Manish Vaish

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